बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 राजनीति शास्त्र
प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
मतदान व्यवहार
मतदान व्यवहार का आशय है कि मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग में किन तत्वों से प्रभावित होता है। मतदान व्यवहार में सर्वप्रथम तो यह अध्ययन किया जाता है कि कौन से तत्व व्यक्ति को मताधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित और कौन से तत्व उसे इस सम्बन्ध में निरूत्साहित करते हैं। द्वितीय स्तर पर इस बात का अध्ययन किया जाता है कि किन तत्वों से प्रभावित होकर व्यक्ति एक विशेष उम्मीदवाद और एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। इस दृष्टि से मतदान व्यवहार का अध्ययन चुनाव के पूर्व भी किया जाता है और चुनाव के बाद भी। मतदान व्यवहार मनोवैज्ञानिक तत्वों से प्रेरित एक गूढ राजनीतिक प्रक्रिया है, जो अनेक आन्तरिक और बाहरी तत्वों से प्रभावित होती है। स्वाभाविक रूप से मतदान व्यवहार से भिन्न होता है।
मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व
मतदान व्यवहार एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है अतः मतदान को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हो सकते हैं जैसे -
1. नेतृत्व - चुनावों विशेषतया अब तक हुए लोकसभा चुनावों में सबसे अधिक प्रभावित करने वाला तत्व नेतृत्व है। प्रथम तीन आम चुनावों में कांग्रेस की विजय का कारण प नेहरू का करिश्माती व्यक्तित्व था इसी प्रकार चौथे आम चुनाव में कांग्रेस की आशिक पराजय का कारण था कि कांग्रेस के पास पं. नेहरू जैसा कोई व्यक्तिव नहीं था। 1971 के लोकसभा चुनावों और 1972 के विधानसभा चुनावो में कांग्रेस का भारी विजय का कारण था, श्रीमती गाँधी का व्यक्तित्व और 1977 में कांग्रेस की भारी पराजय का कारण यह था कि श्रीमती गाँधी के व्यक्तित्व की छवि बहुत अधिक धूमिल हो गई थी। 1980 तथा 1984 के लोकसभा चुनावों में भी जनता ने क्रमशः श्रीमती गाँधी और राजीव गाँधी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर मतदान किया। 1889 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की पराजय का कारण 'बो फोर्स' सौदे में दलाली को लेकर राजीव गाँधी की छवि का धूमिल होना था। दसवीं, ग्यारहवी. बारहवीं लोकसभा के चुनावों और बारहवीं लोकसभा के चुनावों में अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तिव ने भाजपा को लाभान्वित किया। तेरहवी लोकसभा के चुनाव में 'बाजपेयी के नेतृत्व ने भाजपा और राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को निश्चित राजनीतिक लाभ पहुँचाया। चौदहवीं लोकसभा के चुनावों में 'नेतृत्व के प्रश्न' की भूमिका अवश्य रही, लेकिन यह 'सबसे प्रमुख विषय' नहीं बन पाया। पन्द्रहवीं लोकसभा के चुनाव में 'राहुल, सोनिया और मनमोहन सिंह की त्रिमूर्ति और इस त्रिमूर्ति के आपसी सहयोग सामंजस्य ने कांग्रेस दल को निश्चित लाभ पहुँचाया। इसमें राहुल की भूमिका संभवतया सबसे प्रमुख रही। 16 वी लोकसभा के चुनावो में जनता ने नरेन्द्र मोदी के व्यक्तिव से प्रभावित होकर मतदान किया और भारतीय जनता पार्टी एवं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को लाभान्वित किया।
2. राजनीतिक स्थिरता और केन्द्र में सुदृढ़ सरकार की आकांक्षा - भारतीय मतदाता सामान्यतया राजनीतिक स्थायित्व और केन्द्र में सुदृढ शासन चाहते हैं और 1977 के पूर्व तक उनके द्वारा कांग्रेस को समर्थन प्रदान किये जाने का यह एक प्रमुख कारण रहा है। 1980 तथा 1984 के लोकसभा चुनावों में जनता द्वारा इन्द्रिरा कांग्रेस को भारी बहुमत प्रदान किये जाने का यह सबसे प्रमुख कारण था। नवीं, दसवीं, ग्यारवीं तथा बारहवीं के लोकसभा के चुनावों (क्रमशः 1989 1991 1996 तथा 1998) में भी जनता राजनीतिक स्थिरता और सुदृढ़ सरकार चाहती थी, लेकिन जनता के समक्ष सही और सम्पूर्ण अर्थों में न तो कोई अखिल भारतीय दल था और न ही अखिल भारतीय व्यक्तित्व। दूसरी ओर क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय सामन्तो की शक्ति में निरन्तर वृद्धि हो रही थी, अतः जनता ने किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्रदान किया था। 16वीं लोकसभा के चुनावों में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी के मिले पूर्ण बहुमत ने साबित कर दिया है कि स्थायी और सुदृढ़ सरकार भारतीय मतदाता की पहली पसंद है।
3. आर्थिक स्थिति - व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करती है। एक प्रमुख तथ्य यह है कि व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति अच्छी हो तो मतदाता शासक दल के पक्ष में मतदान करते है. अन्यथा शासक दल के विरूद्ध। इसी कारण शासक दल की यह इच्छा रहती है कि चुनाव 'अच्छी कृषि के वर्ष में हो। 1980 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की पराजय का एक प्रमुख कारण जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं, जिसके लिए उन्होंने जनता पार्टी और जनता 'एस की उत्तरदायी' माना। नवम्बर, 1998 में सम्पन्न राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली विधानसभा चुनावों में भाजपा की पराजय का एक बड़ा कारण बढ़ती हुई महंगाई से उत्पन्न जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं. 16 वीं लोकसभा के चुनावों (2014) में भी यू.पी.ए. की हार का एक प्रमुख कारण जनता की आर्थिक कठिनाइयाँ थीं। लगातार बढ़ती महंगाई से निजात पाने के लिए मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया।
4. दलों की विचारधारा, कार्यक्रम और नीति - भारतीय मतदाता यद्यपि बहुत अधिक नहीं, लेकिन कुछ सीमा तक दलों की विचारधारा, कार्यक्रम और नीति से भी प्रभावित होते हैं। इस सम्बन्ध में उनके द्वारा निषेधात्मक विचारधारा और कार्यक्रम के स्थान पर सकारात्मक विचारधारा और कार्यक्रम को पसन्द किया जाता है। 1971 में लोकसभा चुनावों में जनता ने 'गरीबी हटाओ' के कार्यक्रम को अपना मत दिया था और 1977 के चुनावों में जनता पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम 'लोकतन्त्र की रक्षा को अपना मत दिया था। 2014 के लोकसभा चुनावों में जनता ने भारतीय जनता पार्टी के 'सुशासन व विकास के पक्ष में अपना मत दिया। जनता ने इस बात को समझ लिया है कि राजनीतिक दलों की विचारधारा, नीति और कार्यक्रम केवल दिखावे के लिए हैं, इस कारण भी यह तत्व मतदान व्यवहार को कम ही प्रभावित कर पाता है।
5. जातिवाद - जातिवाद मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाला एक तत्व रहा है जो कई बार और अनेक क्षेत्रों में एक समुदाय बन जाता है। वैसे तो इस तत्व का प्रभाव भारतीय संघ के सभी राज्यों में है लेकिन फिर भी बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और केरल में इस तत्व का प्रभाव अधिक है। इस सम्बन्ध में कुछ महत्वपूर्ण और आशावर्धक तथ्य ये है, प्रथम, विधानसभा चुनावों की तुलना में लोकसभा में जाति के तत्व का प्रभाव कम होता है। द्वितीय, यदि चुनावों के अन्तर्गत कोई महत्वपूर्ण प्रश्न या विशेष समस्या समाने हो अथवा राजनीति में कोई 'करिश्माती व्यक्तित्व' हो तो फिर जाति के तत्व का प्रभाव बहुत कम हो जाता है। 2014 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं ने जातिवाद को बड़े पैमाने पर नकार दिया है। इन चुनावों में जाति के तत्व की तुलना में 'सुशासन और विकास के तत्व ने अधिक प्रमुख भूमिका निभाई है।
6. क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति - भारत के कुछ राज्यों में क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति भी प्रबल है। तमिलनाडु में गत तीन दशकों में क्षेत्रवादी प्रवृत्ति के कारण ही डी.एम. के. और अन्ना डी.एम. के. को प्रभावशाली स्थिति प्राप्त रही है तथा पंजाब में अकाली दल की सफलता का भी यह एक प्रमुख कारण रहा है। पं. बंगाल और केरल आदि राज्यों में कुछ क्षेत्रीय दलो की सफलता का कारण रहा है। ग्यारहवीं, बारहवी. तेरहवी. चौदहवीं, पन्द्रहवीं और सोलहवीं लोकसभा के चुनावों में तो भारतीय संघ के अनेक राज्यों में क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
7. भाषाई स्थिति - भाषा का तत्व भी भारत में मतदान व्यवहार को प्रभावित करता है। 1967 तथा 1971 के चुनावों में डी.एम. के ने 'हिन्दी विरोध के नाम पर समर्थन प्राप्त किया और 1977 के लोकसभा चुनावों में दक्षिण भारत में जनता पार्टी की असफलता का एक कारण यह रहा कि दक्षिण भारत के व्यक्ति जनता पार्टी की भाषा नीति के सम्बन्ध मे पूर्णतया आश्वस्त नहीं थे। 1980 के बाद के चुनावों में भाषायी तत्व का प्रभाव कम देखा गया है।
8. युद्ध में सफलता तथा असफलता - युद्ध में सफलता तथा असफलता भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करती है। 1962 की असफलता का 1963 में सम्पन्न लोकसभा के कुछ उपचुनावों तथा 1967 के आम चुनावों में कांग्रेस के भाग्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है और 1971 के युद्ध में प्राप्त सफलता के 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सफलता को बहुत सरल कर दिया। कारगिल युद्ध के प्रसंग में भारतीय नेतृत्व की सफलता ने राजग को स्पष्ट बहुमत की दिशा में आगे बढ़ाया। इस सफलता- असफलता को स्वाभिक रूप से राष्ट्रीय सम्मान के साथ जोड़कर देखा जाता है।
9. शासन की क्षमता-अक्षमता का प्रश्न - जब कोई राजनीतिक दल शासन करने में अक्षम सिद्ध होता है, तब यह जनता का समर्थन खो देता है। 1980 के चुनावों में इन्दिरा कांग्रेस का नारा था ऐसी सरकार चुनिए, जो शासन कर सके।
10. आर्थिक साधन- आर्थिक शासन भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं लेकिन 1977 के लोकसभा चुनाव तथा उसके बाद के कुछ चुनावों के उदाहरण ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि आर्थिक साधन चुनाव को निर्णायक रूप में प्रभावित नहीं कर पाते। चुनावी राजनीति का सबक यह है कि आर्थिक साधनों का चतुराई भरा उपयोग राजनीतिक दल और उम्मीदवारों को लाभान्वित करता है। 'आन्दोलन की राजनीति यदि कुछ अन्य तत्व भी मतदान व्यवहार को प्रभावित करते हैं। जब कोई राजनीति दल जनता के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े किसी प्रश्न पर आन्दोलन खड़ा करने में सफल होता है, तब चुनाव में वह लाभान्वित होता है। चुनाव प्रचार का प्रभाव राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से अप्रतिबद्ध मतदाताओं पर ही पड़ता है। मतदाता अपने मताधिकार के प्रयोग में, इस बात से भी प्रभावित होता है कि जीतता हुआ राजनीतिक दल और जीतता हुआ उम्मीदवार कौन है। मतदाता हारते हुए उम्मीदवार को मत देकर अपने मत को नष्ट नहीं होने देना चाहता है। 2012 ई. के उ. प्र. विधानसभा एवं 2014 के लोकसभा चुनावों सहित अनेक बार इस तत्व का मतदान पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है सामान्यतः बढ़े निर्वाचन क्षेत्रों (लोकसभा चुनावों) में मतदान राजनीतिक दल पर आधारित होता है, लेकिन विधानसभा चुनावों और स्थानीय चुनावों में मतदान उम्मीदवार आधारित होता है।
कभी-कभी कोई नया तत्व या प्रश्न भी मतदान व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। दिसम्बर 1984 के लोकसभा चुनावों को सहानुभूति लहर ने बहुत अधिक प्रभावित किया था तथा 1991 में राजीव गाँधी की हत्या से उत्पन्न सहानुभूति ने कांग्रेस के मतों में अच्छी वृद्धि की थी। राजनीतिक दल और उम्मीदवार की जनता में विश्वसनीयता, जनता दुख-दर्द के प्रति उनकी संवेदना आदि तत्व, मतदान व्यवहार को निश्चय ही प्रभावित करते हैं।
मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले उपर्युक्त तत्वों में कौन-सा तत्व कब अधिक प्रभावी होगा और कब कम प्रभावी यह कह पाना कठिन है। मतदान व्यवहार मानव और मस्तिष्क से चालित होता है। समस्त सृष्टि में मानव मन और मानव मस्तिष्क से अधिक जटिल, अधिक गूढ़, अधिक संवेदनशील और अधिक गतिशील कुछ भी नहीं है। यही कारण है कि तथा कथित विद्वान अध्ययनकर्ता चुनाव पूर्व सर्वेक्षणो और एक्जिट पोल के आधार पर, भविष्य दृष्टा के रूप में चुनाव परिणाम के सम्बन्ध में घोषणा करते हैं और चुनाव परिणाम आने पर सबसे पहले वे स्वयं ही धराशायी हो जाते हैं।
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- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के उद्भव और विकास के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में कांग्रेस के उदारवादी चरण की विचारधारा, कार्यपद्धति, माँगें, सीमाओं के आलोक में मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन्म के संदर्भ पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- काँग्रेस में उग्रवादी विचारधारा के उद्भव के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रवाद के उदय के तात्कालिक कारण क्या थे?
- प्रश्न- बंगाल विभाजन के निहितार्थ स्पष्ट करते हुए स्वदेशी आन्दोलन का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उदार राष्ट्रवादियों की विचारधारा एवं कार्यपद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय उदारवादियों के योगदान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उग्रवादी राष्ट्रीय आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? इसके विकास के समय की राजनीतिक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जलियाँवाला हत्याकांड की घटना तथा उसके प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खिलाफत आन्दोलन से क्या अभिप्राय है? खिलाफत आन्दोलन के उदय एवं विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन की असफलता के कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- असहयोग आंदोलन के सिद्धांतों एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैध शासन प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसकी असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा' का अभिप्राय स्पष्ट करते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रौलेक्ट एक्ट क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रमों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के विषय में आप क्या जानते हैं? इसे आरम्भ करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
- प्रश्न- संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार किया गया स्पष्ट कीजिए तथा अपने कार्य निष्पादन में इसे किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- भारतीय संविधान सभा की अवधारणा का विकास किस प्रकार हुआ, वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान के विभिन्न स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के निर्माण की अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रकृति स्वरूप की चर्चा करते हुए यह भी स्पष्ट कीजिए कि क्या इसे 'वकीलों का स्वर्ग' कहा जा सकता है?
- प्रश्न- क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि भारतीय संविधान 1935 के भारत शासन अधिनियम का वृहत् संस्करण है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिए। संविधान के मुख्य प्रकारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थी?
- प्रश्न- संविधान सभा द्वारा संविधान के लिए उद्देश्य प्रस्ताव क्या था? संविधान निर्माताओं के सामने संविधान निर्माण में क्या-क्या समस्याएँ थीं?
- प्रश्न- लिखित व निर्मित संविधान से अभिप्राय बताइए।
- प्रश्न- संविधान सभा को कार्य निष्पादन में किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
- प्रश्न- संविधान सभा के कार्यकरण की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?
- प्रश्न- पं. नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव (1946) के महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्या थे?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मौलिकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम 1935 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'प्रारूप समिति' पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- नेहरू रिपोर्ट- 1928 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना की भूमिका से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना उद्देश्य तथा महत्व बताइये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रस्तावना के स्वरूप की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए
- प्रश्न- 73 वें संविधान संशोधन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रकृति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान की विशालता के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में केन्द्र को शक्तिशाली क्यों बनाया गया?
- प्रश्न- भारतीय संविधान में संशोधन प्रक्रिया का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवैधानिक उपचारों का अधिकार पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- बयालिसवें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान की मूल प्रस्तावना में किये गये सुधारों को बताइये।
- प्रश्न- एकल नागरिकता क्या है?
- प्रश्न- 'लोक कल्याणकारी राज्य' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के नागरिकता सम्बन्धी प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में किसी भी व्यक्ति की नागरिकता किन आधारों पर समाप्त हो सकती है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निर्देशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धान्त के स्वरूप और क्षेत्र का वर्णन कीजिये। भारतीयराजनीतिक व्यवस्था में सुधार के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- हमारे देश में नीति निर्देशक तत्वों का कार्यान्वयन कहाँ तक हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निर्देशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निर्देशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है? विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संविधान संशोधन की शक्ति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 चौवालीसवें संविधान संशोधन विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी करें।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पद की योग्यतायें एवं कार्यकाल बताते हुए इस पद की संवैधानिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया को समझाइये, उसे अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है तथा राष्ट्रपति के पद रिक्तता की स्थिति में उसके कार्यों को कैसे सम्पादित किया जाता है?
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की स्थिति के सम्बन्ध में संवैधानिक प्रधान की धारणा का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री की स्थिति उसका महत्व तथा उसकी भूमिका की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संघ में प्रधानमन्त्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? शासन में उसका क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत में मंत्रिपरिषद के गठन, कार्य व शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मंत्रिमंडलीय प्रणाली की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति पद की योग्यतायें, कार्यकाल तथा निर्वाचन पद्धति बताइये।
- प्रश्न- उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या भारतीय राष्ट्रपति 'रबर स्टैम्प' है? पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्ति (Veto Power) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 352 पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अनुच्छेद 356 पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री की विशिष्ट स्थिति पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के सम्बन्धों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्रधानमन्त्री के प्रभुत्व से वृद्धि के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपालक के रूप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमन्त्री और संसद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद में प्रधानमन्त्री की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिपरिषद के सामूहिक उत्तरदायित्व पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संसद की संरचना का संक्षेप में वर्णन कीजिए। संसद के कार्य एवं शक्तियाँ बताइये।
- प्रश्न- राज्य सभा की संरचना, कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की संरचना एवं लोकसभा का कार्यकाल बताते हुए इसके कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा की शक्तियों एवं स्थिति का विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारतीय लोकसभा अध्यक्ष की स्थिति, शक्तियों तथा कार्यों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- संसद में कानून निर्माण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं अधिकार संक्षेप में बतायें।
- प्रश्न- राज्य सभा के पदाधिकारियों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा के क्या विशेषाधिकार हैं?
- प्रश्न- धन विधेयक एवं वित्त विधेयक के मध्य भेद स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संसदीय व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
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- प्रश्न- राज्यपाल की नियुक्ति एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकीय कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल की भूमिका अथवा स्थिति की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- मुख्यमन्त्री की नियुक्ति, उसके अधिकार एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए एवं मन्त्रिपरिषद एवं विधानसभा के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल, मंत्रिपरिषद तथा मुख्यमंत्री के आपसी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की स्वविवेकी शक्तियों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'केन्द्रीय अभिकर्ता' के रूप में राज्यपाल की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राज्यपाल का निर्वाचन क्यों नहीं होता? संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान के अनुच्छेद 356 के संदर्भ में राज्य के राज्यपाल की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- मुख्यमन्त्री / मन्त्री पद की पात्रता सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय के 10 सितम्बर, 2000 के निर्णय की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- विधानसभा की रचना तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधान परिषद की रचना किस प्रकार होती है? उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक समीक्षा के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की आवश्यकता एवं महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सर्वोच्च न्यायालय के संगठन, शक्तियों और कार्यों की विवेचना कीजिए। इसे भारतीय संविधान का संरक्षक क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के गठन एवं न्यायाधीशों की नियुक्ति, कार्यकाल,शपथ एवं स्थानान्तरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार या शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'सामाजिक न्याय' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- न्याय पुनः निरीक्षण की शक्ति तथा उच्च न्यायालयों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में केन्द्र राज्य सम्बन्धों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र तथा राज्यों के बीच सम्बन्धों के सुधार के लिए आप किन उपायों को आवश्यक समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राज्य स्वायत्तता (Autonomy) से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- 'सहकारी संघवाद' (Co-operative Federalism) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वित्त आयोग के गठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास परिषद के गठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संविधान की 5वीं एवं 6ठी अनुसूची किन क्षेत्रों को विशेष दर्जा प्रदान करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संविधान की छठी अनुसूची किन क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष प्रावधान करती है?
- प्रश्न- संविधान में आदिवासी क्षेत्रों के लिये विशेष प्रावधान क्यों रखे गये? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत और उत्तर-पूर्व के राज्यों को लागू इनर-लाइन परमिट क्या है?
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन आयोग के संगठन एवं कार्यों अथवा शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निर्वाचन विषयक आधारभूत सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।